Basic Puja Vidhi and Mantras
Shiv Puja Tips
Mantra for Rudraraksha
One Mukhi "Om Hreem Namaha", Om Namaha Shivaye
Two Mukhi "Shree Gauri Shankaraya Namah", 'Om Namaha'
Three Mukhi "O Kleem Namah, Om Namaha Shivaye"
Four Mukhi "Om Hreem Namaha".
Five Mukhi "Om Namaha Shivaya","Om Hreem Namah"
Six Mukhi "Swami Kaartikeya Namaha","Om Hreem Hoom Namaha".
Seven Mukhi "Om MahaLaxmi Namah","Om Hum Namah".
Eight Mukhi "Om Hoom Namah, Om Ganeshaya Namaha"
Nine Mukhi "Nav Durgayi Namah","Om Hreem Hum Namah".
Ten Mukhi "Shree Narayanaaye Namah"," Shree Vishnavai Namaha","Om Hreem Namaha"
Eleven Mukhi "Om Shree Rudraya Namah","Om Hreem Hoom Namah".
Twelve Mukhi "Shree Suryay Namaha" "Om Krown Shown Rown Namah".
Thirteen Mukhi "Om Hreem Namah".
Fourteen Mukhi "Om Namaha Shivaye".
Shiv 108 Names
जो परम पावन हैं।
जो देवों के देव हैं।
सुख-सम्पत्ति प्रदान करने वाले
पिनाक नामक धनुष धारण करने वाले
शीश पर चन्द्रमा धारण करने वाले
जो समस्त प्रकार से शुभ एवं सुन्दर हैं।
तिरछी आँखों वाले भगवान शिव
जटा धारण करने वाले
नील वर्ण वाले
सुख-सम्पदा प्रदान करने वाले
त्रिशूल धारण करने वाले
खट्वाङ्ग नामक आयुध धारण करने वाले
जो भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं।
किरणों से व्याप्त
जो देवी अम्बिका (पार्वती) के पति हैं।
सुन्दर कण्ठ वाले
भक्तों पर स्नेह एवं करुणा बरसाने वाले
स्वयं प्रकट होने वाले
समस्त कष्टों एवं पापों को नष्ट करने वाले
तीनों लोकों के स्वामी एवं अधिपति
श्वेत कण्ठ वाले
जो माता पार्वती को प्रिय हैं।
अत्यन्त उग्र प्रकृति वाले
गले में कपाल की माला धारण करने वाले
कामदेव को भस्म करने वाले
अन्धकासुर का वध करने वाले
जटाओं में देवी गङ्गा को धारण करने वाले
जिनके ललाट पर तीसरा नेत्र है।
जो काल के भी काल हैं।
भक्तों पर कृपा करने वाले, कृपा के सागर
भीमकाय (विशाल) शरीर वाले
परशु नामक अस्त्र धारण करने वाले
हाथ में नर मृग धारण करने वाले
जटा धारण करने वाले
कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले
विभिन्न प्रकार के आयुध धारण करने वाले
अत्यधिक सुदृढ़ शरीर वाले एवं अति बलशाली
त्रिपुरासुर का अन्त करने वाले
जिनके ध्वज पर वृष (नन्दी) का चिन्ह अङ्कित हैं।
जो नन्दी पर सवार हैं।
सपूर्ण शरीर पर भस्म धारण करने वाले
जिन्हें समानता प्रिय है।
जो सङ्गीत में पारङ्गत हैं।
जो त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक हैं / जो ऋग्वेद, सामवेद एवं यजुर्वेद के रूप में स्थित हैं।
जिनका कोई स्वामी नहीं हैं।
जो सर्वज्ञाता हैं।
जो समस्त आत्माओं में श्रेष्ठ हैं।
चन्द्र, सूर्य एवं अग्नि को अपने तीन नेत्रों के रूप में धारण करने वाले
जो हवि (हवन में आहुति के रूप में दिये जाने वाले द्रव्य) स्वरूप हैं।
जो स्वयं यज्ञ स्वरूप हैं।
जो चन्द्रमा के समान शीतल एवं निर्मल हैं।
पाँच मुख वाले
जो सदैव शुभ हैं।
सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी
जो उग्र भी हैं एवं शान्त भी
जो समस्त गणों (देवगण, मनुष्यगण एवं राक्षसगण) के अधिपति हैं।
समस्त प्राणियों के स्वामी
सहस्र सूर्यों जितना तेज धारण करने वाले
जिन्हें पराजित नहीं किया जा सकता
जो पर्वतों के स्वामी हैं।
कैलाश पर्वत पर शयन करने वाले
जो निर्विकार एवं दोषरहित हैं।
सर्पों को आभूषण के रूप में धारण करने वाले
समस्त पापों को नष्ट करने वाले
मेरु पर्वत को अपने धनुष के रूप में धारण करने वाले
जिन्हें पर्वत अति प्रिय हैं / जिन्हें देवी पार्वती अत्यन्त प्रिय हैं।
बाघम्बर धारण करने वाले
त्रिपुरासुर एवं उनके त्रिपुरों (लोकों) का सँहार करने वाले
जो सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं।
प्रमथगणों (शिवगणों) के अधिपति
मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले
सूक्ष्म देह धारण करने वाले
सम्पूर्ण सृष्टि में विद्यमान रहने वाले
जो समस्त लोकों के गुरु हैं।
जिनके केश सम्पूर्ण आकाश में व्याप्त हैं।
जो भगवान कार्तिकेय के पिता हैं।
सुन्दरता को जीतने वाले
भक्तों के कष्ट से द्रवित होने वाले
जो पञ्चभूतों (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश) के स्वामी हैं / जो भूतप्रेतों के स्वामी हैं।
जो अडिग एवं अटल हैं।
जो समस्त सृष्टि का आधार हैं / कुण्डलिनी धारण करने वाले
ब्रह्माण्ड को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले
आठ रूपों वाले
अनेक रूप धारण करने वाले
असीमित ऊर्जा के स्वामी
जो पूर्ण रूप से शुद्ध एवं निर्मल हैं।
जो अनन्त एवं अविनाशी हैं।
खण्डित परशु धारण करने वाले
जो अजन्मा, असीमित एवं अजेय हैं।
समस्त सांसरिक बन्धनों से मुक्त करने वाले
सुख-सौभाग्य प्रदान करने वाले
समस्त पशुओं/जीवों के स्वामी
जो सर्वशक्तिशाली सर्वव्यापी ईश्वर हैं।
जो देवों के भी देव हैं।
जो अपरिवर्तनीय हैं।
समस्त पापों को हरने वाले
भग का नेत्र क्षतिग्रस्त करने वाले
जो अप्रत्यक्ष हैं।
दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंश करने वाले
समस्त पाप बन्धनों को नष्ट करने वाले
पूषन नामक देव के दाँत तोड़ने वाले
स्थिर एवं अटल स्वभाव वाले
सहस्र नेत्रों वाले
सहस्र पेरों वाले जो प्रत्येक स्थान पर उपस्थित हैं।
मोक्ष प्रदान करने वाले
जो अनश्वर एवं अन्तहीन हैं।
जीवों को मोक्ष प्रदान करने वाले
सर्वोच्च सत्ताधारी ईश्वर जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन एवं संहार होता हैं।
Mantra for Shiv
Shiva Moola Mantra
ॐ नमः शिवाय - Om Namah Shivaya
Maha Mrityunjaya Mantra
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushti-Vardhanam
Urvarukamiva Bandhanan Mrityormukshiya Mamritat
Rudra Gyatri Mantra
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
Om Tatpurushaya Vidmahe Mahadevaya Dhimahi
Tanno Rudrah Prachodayat
Ramayan Puja Basic Vidhi
To be added